जालंधर । भगौड़े अमृतपाल सिंह द्वारा अमृतसर जिले के गांव जल्लू खेड़ा के दरिया में बनाई गई फायरिंग रेंज में आनंदपुर खालसा फोर्स निशानेबाजी करती थी। अमृतपाल सेना से रिटायर दागी सैन्य कर्मियों की भर्ती अपनी फोर्स में कर रहा था। वहीं, नशा छोड़ने के नाम पर नशा छुड़ाओ केंद्र में शामिल होने के लिए आने वाले युवाओं का ब्रेनवाश करके उन्हें फायरिंग की ट्रेनिंग दी जाती थी। इस काम को करने के लिए अमृतपाल की ओर से फायरिंग की ट्रेनिंग देने के लिए रखे गए पूर्व दागी सैन्य कर्मियों को वेतन मिलाता था। 
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए ट्रेनिंग देने वाले दागी कर्मियों से पूछताछ में इसकी जानकारी सामने आई है। दागी कर्मियों ने पूछताछ में बताया कि फायरिंग रेंज में अमृतपाल की ओर से 150 से ज्यादा युवाओं को फायरिंग की ट्रेनिंग दी जा चुकी थी। यह ट्रेनिंग बाकायदा फौजी स्टाइल में होती थी। इसके लिए फायरिंग के साथ-साथ उन्हें उसी तरह की ट्रेनिंग दिलाई जाती थी जैसी कि फौज में मिलती है। युवाओं को आनंदपुर खालसा फोर्स के सिपाही के रूप में तैयार किया जाता था। इतना ही नहीं युवाओं को हथियार लेकर कैसे भागना है उनकी भागने की स्पीड कितनी होनी चाहिए, इसकी भी ट्रेनिंग उबड़ खाबड़ जगह पर दी जाती थी। उन्हें सिखाया जाता था कि भागते-भागते किस प्रकार से गोलियां चलानी हैं। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही उन्हें आनंदपुर खालसा फौज में भर्ती किया जाता था। 
युवाओं को बाकायदा फौज की तरह ही भर्ती किया जाता था। इसके लिए उन्हें बाकायदा वर्दी (पहनावा) कपड़े दिए जाते थे और असलहे भी दिए जाते थे। साथ में उनकी रैंक भी बताई जाती थी। रैंक के हिसाब से ही अमृतपाल की फौज में शामिल होने वाले युवाओं को हथियार दिए जाते थे जो प्रमुख पदों पर तैनात किए जाते थे, उन्हें बुलेट प्रूफ जैकेट दी जाती थी