देवों के देव महादेव शिव कई लोगों के आराध्य हैं। हर साल बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है। बाबा भोलेनाथ के भक्त इस खास दिन उनकी भक्ति में डूबे नजर आते हैं। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। इन दिन भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। लोग न सिर्फ इस दिन भगवान शिव की पूजा-पाठ करते हैं, बल्कि व्रत भी रखते हैं। इसके अलावा कई लोग इस खान दिन बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिर भी जाते हैं। पूरे देश में अलग-अलग जगह भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद हैं। अगर आप भी इस शिवरात्री भोलेनाथ के मंदिर के दर्शन करने का विचार बना रहे हैं, तो इन शिव मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।

महाकाल ज्योर्तिलिंग, उज्जैन

12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल ज्योर्तिलिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर देशभर के ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां शिवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान कालों के काल महाकाल 9 दिनों तक अलग-अलग रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। शिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ का सेहरा स्वरूप दुनियाभर में काफी प्रचलित है। इस दिन भगवान शिव के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी भक्तजन उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर,बनारस

शिवरात्रि के मौके पर आप उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी बनारस स्थित काशी विश्वनाथ के दर्शन कर सकते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर गंगा नदी के घाट पर स्थित है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस स्थान को भगवान शिव और माता पार्वती का प्रिय स्थान भी माना जाता है।

ओमकारेश्वर मंदिर, शिवपुरी

मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्थित ओमकारेश्वर मंदिर में भी भक्त शिवरात्रि के दिन दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अगर आप भी शिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के दर्शन का मन बना रहे हैं, तो ओंकारेश्वर मंदिर जा सकते हैं। देशभर से श्रद्धालु महाशिवरात्रि के मौके पर यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां पहुंचने के लिए इंदौर एयरपोर्ट सबसे नजदीक है।

सोमनाथ मंदिर, काठियावाड़

गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। त्रिवेणी संगम पर स्थित यह मंदिर गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है। इस मंदिर को आक्रमणकारियों और शासकों ने कई बार नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन इसे हर बार फिर से बनवाया गया।