इस्लामाबाद । जब-जब पाकिस्तान को कर्ज की जरूरत पड़ी या कोई संकट आया, सऊदी अरब ने सबसे पहले उसकी मदद की, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को किसी तरह का बेलआउट या बिना ब्याज का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। अपने मुस्लिम दोस्त के इस फैसले से इस्लामाबाद सरकार हैरत में है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार शिकायत कर रहे हैं कि मित्र देश भी पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए मदद करने के इच्छुक नहीं हैं। डिफॉल्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान को तत्काल बड़े कर्ज की जरूरत है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान में सिर्फ 3 बिलियन डॉलर ही बचा है। पाकिस्तान 1980 के दशक से अपने 13वें बेलआउट पैकेज को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ कठिन बातचीत में फंसा हुआ है। अगर जल्द ही कोई समझौता नहीं किया गया तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय कर्ज हासिल करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि उसकी क्रेडिट रेटिंग खराब हो जाएगी। हाल के घटनाक्रमों की जानकारी रखने वाले विश्लेषकों ने मिडिल ईस्ट आई को बताया कि सऊदी अरब ने चालू खाता घाटे में भारी कमी के साथ सख्त मौद्रिक और राजकोषीय सुधारों को लागू करते हुए पाकिस्तान के सामने नए ब्याज वाले ऋण और निवेश की शर्तें रखी हैं। ये आईएमएफ की शर्तों के समान हैं।किंग फैसल सेंटर फॉर रिसर्च एंड इस्लामिक स्टडीज के एसोसिएट फेलो उमर करीम ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी सदमे की स्थिति में हैं। करीम ने एमईई को बताया कि अब तक सऊदी अरब और दूसरे खाड़ी देश प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की एक फोन कॉल पर पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आ जाते थे लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। माना जा रहा है कि अपनी हालिया यात्रा में पाकिस्तान के आर्मी चीफ भी सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को पाकिस्तान की आर्थिक मदद के लिए राजी नहीं कर सके। करीम का मानना है कि यह एक नई मिसाल कायम करता है।