अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा उप चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो चक्रव्यूह रचा है उसे भेद पाना सपा के लिए मुश्किल है। सभी बड़ी और छोटी जातियों के नेता मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर वहां कैंप कर रहे हैं और अपनी जातियों के गांवों में रुक कर उन्हें अपनेपन का अहसास भी करा रहे हैं।

  • भाजपा और सपा की नजर ब्रा‌ह्मण वोट बैंक पर
  • योगी के चक्रव्यूह को भेद पाना सपा के लिए आसान नहीं होगा 
  • मिल्कीपुर उप चुनाव में ब्राम्हण मतदाता निर्णायक भूमिका 
  • गोसाईगंज के पूर्व विधायक खब्बू तिवारी समर्थकों के मैदान में डटे 


सबसे बड़ी संख्या में मौजूद ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए मुख्यमंत्री ने विशेष तौर पर गोसाईंगंज के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू को लगाया है। मिल्कीपुर के विषय में खब्बू और मुख्यमंत्री के बीच तीन राउंड बैठक भी हो चुकी है। ब्राह्मणों के बीच किए जा रहे प्रयासों का असर बीते शुक्रवार को हुई जनसभा में साफ तौर पर दिखाई पड़ा। 
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में इस बार पासी समुदाय के बजाय ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका निभाने जा रहे हैं। क्षेत्र में लगभग 85,000 ब्राह्मण मतदाता है, जो हर चुनाव में परिणाम को प्रभावित करते हैं। इस बार भी इनका रुख ही विजेता तय करेगा। इसके अतिरिक्त 70 हजार पासी, 65 हजार यादव, 35 हजार मुस्लिम, 28 हजार ठाकुर, 15 हजार वैश्य, 57 हजार दलित गैर पासी और 15 चौरसिया समाज के लोग शामिल हैं।


मिल्कीपुर सुरक्षित सीट पर भाजपा और सपा ने पासी समुदाय से अपने प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा से खब्बू अपना जोर लगा रहे है। आजाद समाज पार्टी से सपा के बागी सुरज चौधरी भी पासी समुदाय से हैं। हैं। हालांकि, बसपा ने इसक इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है, जिससे उनके वोट भाजपा की ओर की ओर शिफ्ट होने की संभावना है। वहीं ब्राहमण मतदाताओं ने बताया कि 2022 में उन्होंने सपा को वोट दिया था, लेकिन इस बार भाजपा को समर्थन देंगे। क्योंकि हमारे नेता खब्बू तिवारी की प्रतिष्ठा का प्रश्न है। ग्रामीणों का कहना है कि सपा ने मौका देने के बाद भी चादे पूरे नहीं किए। पूर्व में बसपा को भी वोट दिया था, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर सकी। 
यादव मतदाता भी सपा से इस बार नाराज है, वहीं 5 बार मिल्कीपुर से विधायक रहे मित्रसेन यादव के पुत्र व पूर्व आईएएस अफसर अरविंद सेन गांव गांव यादवों के बीच जाकर भाजपा को जिताने के लिए जोर लगा रहे हैं। जबकि ब्राह्मण मतदाताओं का भाजपा की ओर झुकाव सपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस उप चुनाव में पासी उम्मीदवारों के बीच ब्राहमण मतदाता ट्रंप कार्ड साबित होंगे।