भोपाल ।   मध्‍य प्रदेश में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री स्व कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी भाजपा छोड़ेंगे। भाजपा के लिए यह खबर तब किसी झटके से कम नहीं है, जब पार्टी नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी है। जोशी भाजपा के टिकट पर वर्ष 2018 में हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। वर्ष 2020 में कमल नाथ सरकार गिरने के दौरान हाटपिपल्या से कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी भाजपा में आ गए और भाजपा के टिकट पर विधायक बन गए। तब से जोशी नाराज चल रहे थे। दीपक जोशी शिवराज सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रहे हैं। उनके पिता मप्र के मुख्यमंत्री पद पर रहे और बागली विधानसभा क्षेत्र से नौ बार विधायक रहने का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम है।

परंपरागत सीट छिन जाने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक का राजनीतिक भविष्य भी संकट में है। वर्ष 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान भी जोशी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बीच मुलाकातें हुई थीं। तब भी कयास लगाए जा रहे थे कि जोशी कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन अब बदले हुए माहौल में जोशी ने कांग्रेस का दामन थामने का निर्णय ले लिया है।

कांग्रेस भाजपा के कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों पर डोरे डाल रही है। ये दिग्गज नेता भाजपा के मिशन-2023 की राह में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया, डा गौरीशंकर शेजवार, रामकृष्ण कुसमरिया जैसे पूर्व मंत्री आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। कांग्रेस के बड़े नेता इन भाजपा नेताओं के निरंतर संपर्क में हैं। इन नेताओं में से बहुत से दिग्गज ऐसे हैं, जिनकी परंपरागत सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए नेता चुनाव जीत गए हैं। वहीं, गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी को टिकट देने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। पार्टी ने इंकार किया तो वे भी पैंतरा बदल सकते हैं।

मध्य प्रदेश भाजपा में बदली हुई परिस्थितियां नवंबर-दिसंबर 2023 के मप्र विधानसभा चुनाव में अपनों से ही मुसीबत के संकेत दे रही है। जो चेहरे पार्टी में कभी कद्दावर माने जाते थे, कैबिनेट का हिस्सा थे, अब वही जीत के रास्ते पर कांटे बिछा सकते हैं। इन परिस्थितियों की जड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने समर्थकों सहित भाजपा ज्वाइन करना है। 2020 में सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद जिन सीटों पर उपचुनाव हुए, वहां भाजपा के पुराने चेहरों को मौका न मिलना मुश्किलें खड़ी कर सकता है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के बड़े नेता डा. गौरीशंकर शेजवार पर भी कांग्रेस की निगाहें हैं। उनकी सांची विधानसभा क्षेत्र पर भी कांग्रेस से आए नेता स्वास्थ्य मंत्री डा.प्रभुराम चौधरी का कब्जा है। ऐसी स्थिति में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मुदित वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी थे लेकिन चुनाव हार गए थे। कांग्रेस के नेता शेजवार के संपर्क में हैं। उन्हें प्रस्ताव दिया गया है कि वे स्वयं चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हों तो कांग्रेस उन्हें टिकट दे सकती है।

इनका कहना है

मेरे पिताजी स्व कैलाश जोशी की ईमानदारी की विरासत को भाजपा सहेजना नहीं चाहती है इसलिए मैंने भाजपा छोड़ने का निर्णय लिया है। कांग्रेस में शामिल होने की तिथि अभी तय नहीं है। भाजपा नेताओं को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया है।

दीपक जोशी, पूर्व मंत्री

ये तो ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है : कमल नाथ

छत्तीसगढ़ में भाजपा नेता नंदकुमार साय के पार्टी छोड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया में मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा कि ये तो ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है। दीपक जोशी के कांग्रेस में आने के सवाल पर कहा कि हमारे दरवाजे खुले हुए हैं।

भाजपा सामूहिक चिंतन और सामूहिक निर्णय के आधार पर चलने वाली पार्टी है। भाजपा की विचारधारा और कार्यपद्धति में पले बढ़े नेता को स्थान और सम्मान इसी पार्टी में पक्का और सच्चा हो सकता है। अन्य किसी दल में ' उपयोग करो और फेंक दो' की शैली रही है। अतीत के कई उदाहरण हमारे सामने हैं।

रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री भाजपा मप्र