नई दिल्ली । भारत में गेमिंग उद्योग देश को आठ लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य तक पहुंचने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह बात मेटा के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी ने कही। उनका मानना है कि हालांकि कारोबार के रूप में गेमिंग वैश्विक स्तर पर कंपनी के शीर्ष तीन कारोबारों में से एक है, लेकिन भारत में सोशल मीडिया, रील्स और इन्फ्लूएंसर भारत में गेमर के लिए नए गेम खोजने और खरीदने के लिए अग्रणी प्रेरक हैं। एक अध्ययन में ऐसा पाया गया है। यह अध्ययन मेटा की ओर से कराया गया था। अ‎धिकारी ने कहा कि गेमिंग डिजिटल अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। हमारा लक्ष्य आठ लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है, इसमें से एक लाख करोड़ डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था से आने वाला है। हम अनुमानित रूप में करीब 64.1 करोड़ गेमर्स को देखेंगे, जो हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अगर हम अर्थव्यवस्था में इसी तरह की वृद्धि, गेमिंग में विस्तार की देखते रहते हैं, तो हम संभावित रूप से गेमिंग को अपने लिए निर्यातोन्मुख बनाने पर भी विचार कर सकते हैं। अध्ययन के अनुसार 90 प्रतिशत ऐसे गेमर्स, जो सोशल मीडिया पर नए गेम खोजते हैं, वे मेटा के जरिये से ऐसा करते हैं, जिसमें रील्स खोज में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। अर्थव्यवस्था जिस तरह से बढ़ रही है, हमें इस तंत्र में करोड़ों संभावित यूजर्स के जुड़ने की उम्मीद है।