लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा (UP Assembly Election 2022) से पहले सभी राजनीतिक दल ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे है. जबकि चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) चुनावी समर में नहीं उतर पाई है. सोमवार को बसपा के राष्‍ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chand Mishra) ने न्यूज18 से खास बातचीत में बताया कि आचार संहिता लागू होने के तुरंत बाद बहन जी के दौरे पूरे प्रदेश में होने वाले है. उन्होंने कहा कि वो हर जिले में जायेंगी. हम बीजेपी की तरह नहीं है कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर एक पत्थर लगाये और वोट मांगे.

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने के सवाल पर सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि हम भी यही चाहते है कि सीएम चुनाव लड़े और खुद देखे कि जनता के बीच में उनके लेकर क्या फीडबैक है.सतीश चन्‍द्र मिश्रा ने दावा करते हुए कहा कि बीएसपी भी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतारेगी और सीएम को चुनाव में हराएगा भी. पिछले दिनों यूपी के ब्राह्मण नेताओं के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को लेकर भी बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि इनके नेता खुद ये जानते है कि पूरे प्रदेश के ब्राहण इनसे नाराज है.और यूपी के नेता ये बात समझ चुके है इसलिए पहले ही जाकर अपनी तरफ से हाथ खड़े कर रहे है. ताकि बाद में इनसे कोई कुछ ना कहे.
उन्होंने कहा कि ब्राहणों को ये समझ में आ गया है कि बीएसपी ने ही उनको पूरा सम्मान दिया है. इसलिए 2007 की तरह 2022 के चुनाव में ब्राहण एकजुट होकर बहन जी को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रहे है. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में चल रही इत्र कारोबारियों पर छापेमारी को लेकर भी सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि इसके लिए इंतज़ार करना होगा कि अंत में इनकम टैक्स की तरफ से क्या तथ्य सार्वजनिक किया जाता है?

ब्राह्मणों को जोड़ने की जिम्मेदारी
दरअसल बड़ी चुनावी रैलियों के लिए पहचानी जाने वाली मायावती ने 9 अक्टूबर को काशीराम स्मारक स्थल पर परिनिर्वाण दिवस मनाया था. इसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. हालांकि, इसको चुनावी रैली नहीं माना जा सकता है. वहीं ब्राह्मणों से जोड़ने के लिए मायावती ने पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को जिम्मेदारी दी हुई है. सतीश की पत्नी कल्पना मिश्र का भी ब्राह्मण समाज की महिलाओं साधने की जिम्मेदारी निभा रही हैं. बता दें कि 22% एससी आबादी बसपा का कोर वोट है.