लखनऊ । यूपी में जौनपुर जेल में बंद धनंजय सिंह को हाल ही में जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई है। वे 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही जौनपुर सीट से लोकसभा लड़ने की तैयारी में जुटे थे। धनंजय सिंह नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। लिहाजा नीतीश कुमार जब एनडीए का हिस्सा बने तो चर्चा तेज हुई धनंजय सिंह भी एनडीए गठबंधन के कोटे से जौनपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐन वक्त पर बीजेपी ने कृपा शंकर सिंह को जौनपुर से टिकट दे दिया। कृपाशंकर सिंह को टिकट मिलते ही धनंजय सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए लेकिन उसके 2 दिन बाद धनंजय सिंह को सजा हो गई। अब धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में जेल में बंद धनंजय सिंह के लिए जौनपुर की लड़ाई उनकी अपनी लड़ाई बन गई है।
हालाकि उत्तर प्रदेश से अतीक अहमद खान, मुबारक, मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, जैसे माफियाओं का खात्मा हो गया है। बुंदेलखंड के जंगलों से ददुआ ठोकिया व गौरी यादव जैसे डकैत का नामलेवा नहीं बचा है। यूपी के सियासी इतिहास में शायद यह पहला चुनाव है। जिसमें डकैतों और माफियाओं का दखल अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इसके बावजूद सियासत के कई महारथी इस बार भी जेल के अंदर से अपनी सियासी धमक को दिखाने में जुटे हैं। जेल में बंद इन बाहुबलियों का दखल इस बार के चुनाव में भी बेहद अहम है।