लखनऊ| स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने उस कंपनी के बिलों की निकासी से संबंधित घोटाले में एक अन्य सह-आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने आगरा विश्वविद्यालय के लिए परीक्षा आयोजित की थी, जहां छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर में उस समय वर्तमान कुलपति विनय पाठक तैनात थे। आरोपी संतोष कुमार सिंह अजय मिश्रा का करीबी सहयोगी है, जिसे पहले गिरफ्तार किया गया था। मिश्रा कथित तौर पर पाठक की मदद से विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों से परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की छपाई का ठेका लेता था और फिर उसे सिंह को सौंप देता था।

आरोप है कि सिंह ने मिश्रा के साथ अलग-अलग विश्वविद्यालयों में काम किया और करोड़ों रुपए जमा किए। एसटीएफ ने मामले में सिंह का नाम भी शामिल किया है।

एसटीएफ सूत्रों के अनुसार संतोष को बरेली विश्वविद्यालय में बीएड प्रवेश परीक्षा देने वाली छात्राओं को एंटी कोविड किट उपलब्ध कराने का काम मिला था।

एसटीएफ ने कहा, संतोष को 4 करोड़ रुपये में काम दिया गया था। टेंडर पास होने से पहले ही उसने 1 करोड़ रुपये की किट खरीद ली। एसटीएफ इस बात की जांच कर रही है कि संतोष को कैसे पता चला कि उसकी फर्म को काम मिलने वाला है।

जांच में पता चला कि सिंह की प्रिंटिंग फर्म है। उसने बैंक खाते खुलवाए थे, जिसमें उसके खाते से लाखों रुपये मिश्रा की फर्म में ट्रांसफर कर दिए गए।

उत्तराखंड एसएसएससी भर्ती पेपर लीक घोटाले में जेल भेजे गए राजेश चौहान की फर्म में भी उसने पैसे ट्रांसफर किए थे।