वाराणसी । वाराणसी के रमना गांव से जुड़ी चौंकाने वाली घटना सामने आई है, इसमें 40 कुंआरी लड़कियों को दिवाली के दौरान गर्भवती महिलाओं के संदेश मिले। मामले के तूल पकड़ने के बाद वाराणसी के सीडीओ हिमांशु नागपाल ने इस मानवीय चूक बताकर डीपीआरओ को मामले की जांच सौंप दी है। साथ ही, सीडीओ ने पुष्टि की कि कुंआरी लड़कियों का डाटा पोर्टल से डिलीट कर दिया गया है।
घटना के बारे में सीडीओ नागपाल ने बताया कि रमना गांव से शिकायत आई थी कि 40 कुंआरी लड़कियों का नाम गर्भवती महिलाओं के पोर्टल पर गलत तरीके से पंजीकृत हो गया, जिसके बाद उन्हें बाल विकास मंत्रालय से एक संदेश मिला। इस संदेश में गर्भवती होने की जानकारी थी, इस संदेश के बाद हड़कंप मच गया।
सीडीओ ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के लिए पुष्टाहार वितरण की प्रक्रिया के तहत इन लड़कियों के नाम पोर्टल पर दर्ज कराए थे। इसके साथ ही, बताया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री बीएलओ (बूट लिस्ट ऑपरेटर) भी थीं और वर्तमान में समरी रिवीजन का काम कर रही थीं। तभी उन्होंने घर-घर जाकर 18 साल से अधिक आयु के युवाओं का आधार डेटा इकठ्ठा किया और उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए फॉर्म भरे। इस दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं के पोर्टल और वोटर लिस्ट के नाम एक जैसे मिले, जिससे यह समस्या पैदा हुई।
सीडीओ ने बताया जांच में साफ हुआ हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने इन लड़कियों को पुष्टाहार नहीं बांटा था, फिर भी डीपीआरओ से जांच करवाई जा रही है। जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर उचित कार्रवाई होगी। यह मामला प्रशासन द्वारा एक गलती मानी गई, और संबंधित डाटा को डिलीट कर दिया गया है।