बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाईवे निर्माण पर रोक
एनटीसीए ने कहा- एनएचएआई ने नहीं ली नेशनल हाई-वे निर्माण की अनुमति
भोपाल । सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाईवे-69 के निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि उन्होंने एनएचएआई को सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर में नेशनल हाई-वे के निर्माण की अनुमति नहीं दी है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस डीके पालीपाल की युगलपीठ ने निर्माण कार्य पर रोक लगाई है। अब याचिका पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।
महाराष्ट्र अमरावती निवासी एडविट किओले की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि बैतूल-औबेदुलागंज के बीच नेशनल हाईवे-69 का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गई है। एनएच के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट व मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा भी आता है। एनटीसीए द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा व मेलघाट भी शामिल है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं। जो आने जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि नियम अनुसार टाइगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) तथा नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्स लाइफ की अनुमति आवश्यक है। इससे बिना अनुमति लिए एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है। याचिका में कहा गया था कि वह विकास कार्य के खिलाफ नहीं है परंतु वन तथा वन प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है। एनटीसीए ने भी वन प्राणियों के संरक्षण के लिए हाईवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर तथा ओवर मार्ग बनाने तथा पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर अधिक असर नहीं पड़े। याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट एवं फॉरेस्टस क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड आफ वाइल्ड लाइफ के चेयरमैन, एनएचएआईए मप्र शासन के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट व पीसीसीएफ को पक्षकार बनाया गया है। याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान एनएचएआई के तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि अन्य संबंधित विभाग की एनओसी प्राप्त कर ली गई है। एनटीसीए से अनुमति के लिए प्रयास जारी हैं। नेशनल हाई-वे के निर्माण में इस बात का विषेष ध्यान रखा जा रहा है कि वन जीवों का जीवन किसी तरफ से प्रभावित नहीं हो। याचिका की सुनवाई के पश्चात् युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा।