भ्रयानक रुप लेता बिपारजॉय बना चिन्ता का विषय
नई दिल्ली । राज्य पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और अन्य एजेंसियों ने गुजरात के उत्तरी समुद्र तट के 5 किमी के भीतर आबादी को खाली करना शुरू कर दिया है। गंभीर चक्रवाती तूफान बिपारजॉय के गुजरात में 15 जून को जखाऊ बंदरगाह के पास टकराने की आशंका के बीच राज्य में एक विस्तृत निकासी योजना बनाई गई है।
प्रशासन ने अब तक 7,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। मुंद्रा और कांडला सहित प्रमुख बंदरगाहों को बंद कर दिया गया है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव संभावित विनाश को कम करने की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं। मौसम विज्ञान विभाग ने तटीय गुजरात के लिए ऑरेंज अलर्ट बरकरार रखा और यह पुष्टि की कि चक्रवात 8 किमी प्रति घंटे की महत्वपूर्ण गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है। सोमवार की शाम 5.30 बजे तक, चक्रवात की स्थिति जखाऊ पोर्ट से लगभग 400 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में थी।
चक्रवात के 14 जून की सुबह तक उत्तर-उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने और 15 जून को दोपहर तक जखाऊ बंदरगाट से टकराने की भविष्यवाणी की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को कहा कि चक्रवात के दौरान गुजरात में 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने का अंदेशा है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बचाव दल चक्रवात बिपारजॉय के मार्ग में संवेदनशील स्थानों में रहने वाले लोगों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने चक्रवात से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और गुजरात सरकार की तैयारियों की समीक्षा के लिए नयी दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस चक्रवात का पाकिस्तान पर भी असर पड़ने की आशंका है। गुजरात के राहत आयुक्त आलोक पांडे ने अहमदाबाद में कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि इस चक्रवात से कोई जनहानि न हो।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की दर्जनों टीमों को चक्रवात से प्रभावित होने वाले जिलों में तैनात किया गया है और लोगों के आवास, भोजन और दवाओं की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, सेना, नौसेना और भारतीय तट रक्षक के 50 कर्मियों को द्वारका के पास तट से दूर तटरक्षक बल (आईसीजी) के साथ तैयार अवस्था में रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि कच्छ, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, जूनागढ़ और मोरबी के तटीय जिलों में समुद्र तट के पास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
इसके साथ ही मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है और बंदरगाहों पर चेतावनी के संकेत लगा दिए गए हैं। आईएमडी अहमदाबाद केंद्र की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा, चक्रवात के जखाऊ बंदरगाह के पास टकराने का अनुमान है। यह 15 जून को दोपहर के आसपास गुजरात के तट पर पहुंचेगा। इससे पहले 135-145 किमी प्रति घंटा से लेकर 150 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवाएं चलेंगी और बहुत भारी बारिश होगी। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र-कच्छ सहित अन्य क्षेत्रों में 15-16 जून को भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है और मछुआरों को 16 जून तक समुद्र में नहीं जाने को कहा गया है।
अधिकारियों के अनुसार लगभग 7,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है । पोरबंदर के 31 गांवों से करीब 3,000 लोगों को और देवभूमि द्वारका में करीब 1,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। कच्छ के जिलाधिकारी अमित अरोड़ा ने कहा, करीब 3,000 लोगों, खासकर मछुआरे और एक बंदरगाह पर काम करने वाले मजदूरों को कांडला स्थानांतरित कर दिया गया है। समुद्र के पास कुछ झुग्गियों के निवासियों को भी मांडवी स्थानांतरित कर दिया गया है। तट से 10 किमी के दायरे में स्थित गांवों के करीब 23,000 लोगों को मंगलवार को (अस्थायी) आश्रय घरों में ले जाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी में कहा गया है कि मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय करने का निर्देश दिया कि संवेदनशील स्थानों में रहने वाले लोगों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षित रूप से निकाला जाए। बयान के अनुसार मोदी ने बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी सभी आवश्यक सेवाओं के रखरखाव को सुनिश्चित करने और किसी भी तरह की क्षति होने की स्थिति में उन्हें तुरंत बहाल करने का भी निर्देश दिया। प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए और उन्होंने हफ्ते में सातों दिन 24 घंटे चलने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का आदेश दिया।
अधिकारियों ने बताया कि कच्छ जिले के तटीय इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है और सभी स्कूल एवं कॉलेज 15 जून तक बंद कर दिए गए हैं।मौसम विभाग ने एक ट्वीट में कहा, सौराष्ट्र और कच्छ तट के लिए चक्रवात अलर्ट... सुबह आज 0830 बजे चक्रवात पोरबंदर से करीब 320 किमी दक्षिण-पश्चिम, देवभूमि द्वारका से 360 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम, जखाऊ बंदरगाह से 440 किमी दक्षिण, नलिया से 450 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में स्थित था। इसके 15 जून की दोपहर तक जखाऊ बंदरगाह को पार कर जाने का अनुमान है।