मेहनती कार्यकर्ताओं को मिलेगी जिलों की कमान
भोपाल । मध्यप्रदेश कांग्रेस में व्यापक बदलाव किया जा रहा है। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने इसके संकेत दे दिए हैं। सभी 52 जिलों के संगठन प्रभारी बदलने के बाद कमलनाथ अब जिलों के अध्यक्षों को बदलने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार जिन पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है उन्हें बदला जा सकता है। बताया जाता है कि करीब 25 से 30 जिलाध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष के निशाने पर हैं। इनकी जगह पार्टी परिणाम देने वाले और मेहनती कार्यकर्ताओं को मौका देगी। पीसीसी के सूत्रों के अनुसार आधे जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों को बदला जा सकता है। इनमें निष्क्रिय जिलाध्यक्षों के साथ ही ऐसे जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं जिन्होंने निकाय चुनाव में पार्टी के साथ गड़बड़ी की। ऐसे कांग्रेस नेताओं की छुट्टी तय है। दरअसल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस सक्रिय हो चुकी है।
मप्र कांग्रेस ने कांग्रेस संगठन को मजबूती देने की कवायद शुरू कर दी है। हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव में 5 नगर निगमों में कांग्रेस को मिली कामयाबी से कार्यकर्ताओं के हौसले भी बुलंद हुए हैं। इसके बाद कमलनाथ ने प्रदेश में कांग्रेस को जमीनी स्तर पर खड़ा करने की पूरी जिम्मेदारी खुद ले ली है। वे विधायकों से जिलाध्यक्षों का प्रभार भी वापस ले रहे हैं। उनके स्थान पर पार्टी के फुल टाइम वर्कर को कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाया जा रहा है।
ये होंगे बदलाव
कांग्रेस के निष्क्रिय जिलाध्यक्षों की छुट्टी होगी। पीसीसी सूत्रों के मुताबिक करीब 25 से 30 जिलों के अध्यक्षों को बदला जा सकता है। इनमें निकाय चुनाव में गड़बड़ी करने वाले जिलाध्यक्ष भी हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों द्वारा भाजपा का दामन थाम लेने के बाद कांग्रेस में संगठन की कमान विचारधारा पर अडिग रहनेवाले कार्यकर्ताओं के हाथ में देने की तैयारी है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए बूथ से लेकर ब्लॉक और जिलास्तर के संगठन की कमान जिला प्रभारियों तथा सह प्रभारियों के हाथ में दी जाएगी। पीसीसी ने भाजपा के साथ गलबहियां डाल रहे कांग्रेस नेताओं की जानकारी भी मंगाई है। ऐसे नेताओं पर लगाम लगाई जाएगी।
संगठन की कसावट में जुटे नाथ
मिशन 2023 पर काम कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब संगठन में कसावट लाने में जुटे हैं। संगठन में कसावट के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। इसी को देखते हुए सख्त फैसले भी लिए जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एनपी प्रजापति से मंडम्, सेक्टर का प्रभार वापस ले लिया है। अब यह जिम्मेदारी ग्वालियर के कद्दावर नेता अशोक सिंह को दी गई है। दिग्विजय सिंह के करीबी अशोक सिंह पार्टी में कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। नाथ का प्रयास रहा है कि मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक नए सिरे से संगठन खड़ा किया जाए। सक्रिय नेताओं को वरीयता दी गई। इसी को ध्यान में रख काम शुरू हुआ था। पार्टी ने मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक पदाधिकारी बनाए थे, लेकिन निकाय चुनाव में नजर नहीं आए। प्रत्याशियों ने शिकायत भी की थी। आरोप लगा कि कई जगह निष्क्रिय लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया। आखिरकार नाथ ने एनपी से मंडलम्, सेक्टर के प्रभार की जिम्मेदारी वापस ले ली।