रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने और रूसी सैनिकों को वहां शांति बनाए रखने का आदेश देने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक इमरजेंसी बैठक कर रही है। बैठक यूक्रेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और छह अन्य देशों के अनुरोध पर हो रही है। इसको लेकर यूक्रेन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत सर्गेई किस्लिट्स्या  ने अपने रूसी समकक्ष को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्‍होंने कहा कि कीव तत्काल बैठक का अनुरोध कर रहा है, क्योंकि पुतिन की कार्रवाई यूक्रेन की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और 2014 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का उल्लंघन करती है।

सुरक्षा परिषद रूस पर कोई कार्रवाई या कोई बयान जारी नहीं करेगी, क्योंकि रूस के पास वीटो पावर है। औपचारिक रूप से बैठक का समय निर्धारित करने के लिए सुरक्षा परिषद रूस पर निर्भर है। परिषद की बदलती अध्‍यक्षता में यह इस बार रूस के पास है। सर्गेई किस्लिट्स्या ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और प्रक्रिया के नियमों का हवाला देते हुए मांग की है कि उनके देश का एक प्रतिनिधि किसी भी आपातकालीन बैठक में शामिल हो। एएफपी को मिले पत्र में रूसी राजदूत वसीली नेबेंजिया को संबोधित किया गया है। इसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) के प्रतिनिधि आपात सत्र में भाग लेते हैं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि वह एक आपातकालीन बैठक का समर्थन करती हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘सुरक्षा परिषद को मांग करनी चाहिए कि रूस संयुक्त राष्ट्र के सदस्य यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे।’

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस पर शांति वार्ता को बर्बाद करने का आरोप लगाया। मंगलवार सुबह देश को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि वो अपने क्षेत्रीय इलाकों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। जेलेंस्की ने इससे पहले रूस को दो टूक लहजे में कहा, हम डरते नहीं हैं। यूक्रेन को अभी भी पश्चिमी देशों के समर्थन की उम्मीद है। UNSC में भारत के स्थाई सदस्य टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन मसले पर भारत की तरफ से बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन सीमा पर विवाद बढ़ना चिंता की बात है।