भैया की सौगात पर बैंकों का ग्रहण
बहनाओं के खाते में राशि आते ही बैंकों ने काटी
भोपाल । मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत लाड़ली बहनों के खातों में उनके भैया की ओर से पहली किस्त आ चुकी है। लेकिन बहती गंगा में हाथ का धोने का काम बैंक कर रहे हैं। खातों में पैसा आते ही बैंकों ने मिनिमन बैलेंस का संतुलन बनाने हितग्राहियों के खातों से पैसे कट कर लिए। इस तरह से सौगात मिलने के बावजूद हितग्राही बहनों को फटका लग गया। महिलाओं को बैंकों ने सीधे कह दिया है कि अब अगले माह से उन्हें पूरा पैसा मिलेगा।
शासन की ओर से लाड़ली बहनों के खातों में लाड़ली बहना योजना की राशि अंतरित की जाने लगी है। 10 जून को सीएम की ओर से इसकी औपचारिक शुरुआत की जा चुकी है। जो बहनें अब तक बैंक नहीं पहुंचीं उनका तो नहीं पता, लेकिन जो पहुंचीं उनमें से अनेक के खातों से न्यूतनतम बैलेंस मेंटेंन नहीं रख पाने की वजह से राशी काट ली गई। जिन महिलाओं के खाते बहुत पुराने हैं और उनमें बैलेंस नहीं रहा, तो उनके खाते लगभग खाली हो गए। एलबीवाय की राशि अंतरित होने के साथ ही संबंधित खातों का हिसाब बराबर कर लिया गया। इस मामले में जहां हितग्राही खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं वहीं बैंकों के अफसर राशि काटना बैंकों की नीतिगत मजबूरी बता रहे हैं।
एसएलबीसी के निर्देश अलग
इस मामले में स्टेेट लेबल बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंकों को राशि नहीं काटने के लिए कहा गया है। आरबीआई के निर्देशानुसार भी प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खातों और बेसिक सेविंग बैंक खातों में न्यूनतम बैंलेंस रखने की बाध्यता नहीं है। इसलिए बैंक ऐसे खातों से सेवा शुल्क नहीं काट सकते। एसएलबीसी ने भी बैंकों को निर्देशित किया है कि वे महिलाओं के निष्क्रिय खातोंं को प्रधानमंत्री जन-धन खातों में परिवर्तित किया जाए। ताकि खातों में अंतरित राशि जमा हो सके। हालांकि बैंकों में पदस्थ स्थानीय अधिकारी इससे अनभिज्ञ हैं।